संभल जाएं, एक साथ हो सकता है मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया
सेहतराग टीम
दो साल पहले की बात है। गुड़गांव की एक बहुराष्ट्रीय सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाली 25 साल की रीमा (बदला नाम) अचानक तेज बुखार की चपेट में आ गई। इलाज के लिए वो गाजियाबाद अपने एक करीबी रिश्तेदार के घर आई। वहां एक लैब से खून की शुरुआती जांच में उसके प्लेटलेट के काफी नीचे गिरने का पता चला और ऐसे में उसे गाजियाबाद के एक बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे चिकनगुनिया का मरीज करार दिया। हालांकि चार दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद उसकी स्थिति नहीं ठीक हुई बल्कि और खराब ही हो गई। ऐसे में परिजन उसे जबरन अस्पताल से छुट्टी दिलाकर दूसरे अस्पताल में एक परिचित डॉक्टर के पास ले गए। वहां पता चला कि रीमा को एक साथ डेंगू और चिकनगुनिया तथा हॉस्पीटल एक्वायर्ड निमोनिया भी हो गया है। एक बार बीमारी पता चलने के बाद इलाज उसी हिसाब से हुआ और रीमा पूरी तरह ठीक हो गई।
एक साथ तीन बुखार
इस घटना का जिक्र इसलिए क्योंकि अब ये पता चल रहा है रीमा इस तरह की अकेली मरीज नहीं है बल्कि दिल्ली एनसीआर में पिछले तीन सालों में ऐसे और भी मरीज सामने आए हैं जिन्हें एक साथ डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया यानी मच्छर से होने वाले तीनों बुखार ने अपनी चपेट में लिया। ऐसे मरीजों का इलाज करना बेहद मुश्किल हो जाता है क्योंकि अगर ये बुखार अलग-अलग हों तो जान को खास खतरा नहीं होता है मगर तीनों एक साथ हो जाए तो जान का जोखिम बढ़ जाता है।
कहां आए सामने
जामिया मिलिया इस्लामिया के शोधार्थियों ने ऐसे कम से कम दो मामलों का जिक्र किया है जिसमें ये तीनों बुखार एक साथ होने की पुष्टि हुई है। शोधार्थियों ने इंटरवायरोलॉजी और वायरस डिजीजेज नामक मेडिकल जर्नलों में इन मामलों के बारे में शोध पत्र प्रकाशित करवाया है। पहले मामले के तहत तीन साल के एक बच्चे को जामिया के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर अगस्त 2016 में लाया गया और दूसरा मामला इसके एक महीने बाद सामने आया जब 21 वर्षीय एक छात्र उसी स्वास्थ्य केंद्र पर लाया गया। इन दोनों को ही ठंड के साथ तेज बुखार, बेचैनी, बदन दर्द और सिरदर्द के लक्षण थे। शुरुआती जांच में दोनों को मलेरिया होने का पता चला और उसी के अनुसार इलाज भी शुरू हुआ मगर बाद में दोनों के डेंगू और चिकनगुनिया के टेस्ट पर पॉजिटिव आए।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
मरीजों में इस तरह की स्थिति के बारे में एम्स दिल्ली के मेडिसीन विभाग के पूर्व प्रमुख और वर्तमान में फोर्टिस सी डॉक अस्पताल दिल्ली के निदेशक डॉक्टर अनूप मिश्रा सेहतराग से बातचीत में कहते हैं कि ये स्थिति खतरनाक हो सकती है और इसमें मरीज से ज्यादा डॉक्टरों के बीच जानकारी बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि अगर किसी मरीज को ये तीनों बुखार एक साथ हो जाएं तो वो खुद कुछ नहीं कर सकता बल्कि सारी जिम्मेदारी इलाज करने वाले डॉक्टर की है वो सही तरीके से बीमारी को डायग्नोज करे। मरीज तो सिर्फ यही कर सकता है कि वो तेज बुखार तथा अन्य लक्षणों की चपेट में आने पर जल्द से जल्द किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाए। ये तीनों बुखार होने पर जान का जोखिम बढ़ जाता है क्योंकि मरीज की किडनी पर इनका असर होने का खतरा होता है।
क्या कारण है इन बुखारों को
गौरतलब है मलेरिया मादा एनोफिल मच्छर के काटने से होता है जबकि डेंगू और चिकनगुनिया एडिस एजिप्टी मच्छर के काटने से। दो साल पहले यानी साल 2016 में दिल्ली समेत देश के अधिकांश हिस्सों में चिकनगुनिया का भयानक प्रसार हुआ था जबकि डेंगू का प्रसार तो दिल्ली में तकरीबन हर वर्ष ही देखने को मिलता है। बरसात के मौसम में ये बुखार सबसे अधिक फैलते हैं क्योंकि मच्छर भी सबसे अधिक इसी समय फैलते हैं।
(टाइम्स ऑफ इंडिया से इनपुट के साथ)
Comments (0)
Facebook Comments (0)